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अप्रैल, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कुछ बातें हमारे बारे में

 मैं एक वैदिक ज्योतिषी हूँ। मेरी रुचि लोगो को ज्योतिष की जानकारी देने और आत्म-निर्देशित करने की है और मैं लोगों के जीवन में स्थिरता लाने के लिए ज्योतिष की नैतिकता के अनुसार काम करता हूं। हालाँकि, मेरा मुख्य उद्देश्य आपको अपने जीवन के बारे में स्पष्टता और अंतर्दृष्टि देना है और साथ ही आपको हमारे चारों ओर घूमने वाली विभिन्न ऊर्जाओं के आध्यात्मिक ज्ञान से सशक्त बनाना है। इसके अलावा, आप मुझसे विवाह परामर्श, करियर और व्यवसाय, प्रेम और संबंध, धन और संपत्ति, करियर के मुद्दों और बहुत कुछ के बारे में भी संपर्क कर सकते हैं। मेरे द्वारा प्रदान किए जाने वाले उपाय बहुत आसान और प्रभावी हैं और अधिकांश समय सटीक साबित होते हैं। इसके अलावा, मेरे ग्राहक मेरे समाधान और उपायों से हमेशा संतुष्ट रहते हैं। मैं अपने सभी ग्राहकों के साथ व्यक्तिगत स्तर पर व्यवहार करता हूं और उनके साथ संबंध बनाने की प्रयास करता हूं। मैं शास्त्री अश्वनी शुक्ला 18 वर्षीय ज्योतिषीय अनुभव प्राप्त होने के साथ ही साथ वैदिक ज्योतिषी एवं वैदिक तांत्रिक का कार्य करता हुं,  तथा मेरी रुचि और प्रमुख कार्य लोगों को ज्योतिष से जुड़ी विश्वस्तरी

ज्योतिषी इफेक्ट

 [14/4/2022, 13:33] अगर आप फ्री की चाहत रखते हैं तो कृपया ऐसा विचार त्याग दें: ज्योतिषशास्त्र के अनुसार शुक्र ग्रह को स्त्री कामुकता, काम वासना और भोग-विलास के लिए उत्तरदायी माना गया है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार व्यक्ति के शरीर के बालों का प्रतिनिधित्व शुक्र ग्रह करता है। कुंडली में यदि शुक्र ग्रह की स्थिति खराब होती है तो व्यक्ति को दांपत्य में होने वाली समस्याओं के साथ-साथ धन संबंधी समस्याएं भी उठानी पड़ती है। क्योंकि कालपुरुष सिद्धांत के अनुसार शुक्र ग्रह का व्यक्ति के दांपत्य जीवन के लिए उत्तरदायी सप्तम भाव और दूसरे भाव यानि धन भाव का प्रतिनिधित्व करता है। [14/4/2022, 13:33] अगर आप फ्री की चाहत रखते हैं तो कृपया ऐसा विचार त्याग दें: दांपत्य जीवन को सुखमय बनाने के लिए बहुत जरूरी है कि व्यक्ति अपने शरीर के अनचाहे बालों को समय-समय पर हटाता रहे। इससे दांपत्य जीवन भी सुखमय रहेगा और जीवनसाथी का आपके प्रति लगाव भी कम नहीं होगा। [14/4/2022, 13:34] अगर आप फ्री की चाहत रखते हैं तो कृपया ऐसा विचार त्याग दें: कुंडली का भाव कुंडली का सातवां भाव जीवनसाथी की सेहत, दांपत्य सुख और बिजनेस संबंध आपसी

कुंडली में कुछ खास ग्रह स्थित है

 1. कुंडली के ग्यारहवे भाव में सूर्य, पांचवे में गुरु तथा बारहवें में शुक्र इस बात का सूचक है कि यह व्यक्ति पूर्वजन्म में धर्मात्मा प्रवृत्ति का और लोगों की मदद करने वाला हो सकता है। 2. लग्न में उच्च राशि का चंद्रमा हो तो ऐसा व्यक्ति पूर्वजन्म में सद् विवेकी वणिक यानि एक अच्छा व्यापारी रहा होगा। 3. चार या इससे अधिक ग्रह जन्म कुंडली में नीच राशि के हों तो हो सकता है कि ऐसे व्यक्ति ने पूर्वजन्म में आत्महत्या की होगी। 4. यदि जन्म कुंडली में सूर्य छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो या तुला राशि का हो तो व्यक्ति पूर्वजन्म में भ्रष्ट जीवन व्यतीत करना वाला हो सकता है। 5. लग्न या सप्तम भाव में यदि शुक्र हो तो व्यक्ति पूर्वजन्म में राजा या प्रसिद्ध सेठ रहा होगा। ऐसे व्यक्ति ने जीवन के सभी सुखों को भोगा होगा। 6. लग्नस्थ गुरु इस बात का सूचक है कि जन्म लेने वाला पूर्वजन्म में वेदपाठी ब्राह्मण था। यदि जन्मकुंडली में कहीं भी उच्च का गुरु होकर लग्न को देख रहा हो तो बालक पूर्वजन्म में धर्मात्मा, सद्गुणी, साधु या तपस्वी रहा होगा। 7. लग्न, एकादश, सप्तम या चौथे भाव में शनि इस बात का सूचक है कि व्यक्ति पूर्

प्रसव संबंधित कुछ खास बातें

 प्रशव घर कोई भी कमरा हो सकता है इसको मुख्य घर न समझे यदि बालक के जन्म समय में लग्न तुला , वृश्चिक , कुम्भ , मेष , कर्क , हो तो प्रसव के घर का द्वार पूर्वमुख था। यदि कन्या धनु मीन मिथुन लग्न में बालक का जन्म हो तो प्रसूतिघर का द्वार उत्तर की ओर था। जन्म लग्न वृष लग्न हो तो प्रसूति द्वार पश्चिम मुख होगा। जन्म समय सिंह और मकर लग्न हो तो प्रसूता द्वार दक्षिण होना चाहिए। इसी प्रकार अपने प्रसूति घर के बारे में जानकारी सही मिलान करके भी जन्म समय के समय की सही गलत की जानकारी देख सकते है ज्योतिष विद्या में बालक के जन्म लेते ही रोने सम्बन्धी जानकारी से भी सही गलत समय की पहचान की जा सकती है बालक के जन्म समय में मेष , वृष , सिंह , मिथुन , तुला लग्न हो तो बालक जन्म लेते ही रोया करते है । कुम्भ, कन्या लग्न वाले बालक कुछ रोदन करते है कर्क , वृश्चिक , धनु , मीन लग्न में जन्मे बालक जन्म लेते ही नहीं रोते , ये कुछ समय बाद रोते है। मेष ,वृष , मिथुन , सिंह , तुला लग्नों बालक का जन्म हो तो यह बालक सब ज्ञान को भूलकर बहुत रोदन करता है कुम्भ और कन्या लग्न वाले कुछ समय के लिए रोते है। बालक के जन्म कुंडली से ज

लाल किताब के कुछ बेहतरीन उपाय जो दिल को छूजाए

 *🛕 ज्योतिष ज्ञानामृत 🛕* *लाल किताब के ये 46 रामबाण उपाय, बदल देंगे आपकी किस्मत*  1 शनि दृष्टि दोष दूर करने के लिये उड़द की दाल के 4 बड़े शनिवार को प्रात: सिर से 3 बार एंटी क्लाकवाइज (उलटा) घुमाकर कौओं को खिलाएं। (सात शनिवार करो)। 2 शनि कृपा पाने के लिये शनिवार के दिन आठ नंबर का जूता (लैदर का) शनि का दान मांगने वाले को ‘ऊँ सूर्य पुत्राय नम:’  आठ बार कहकर दें।  3 ऊपरी बाधायें दूर करने के लिये। काले घोड़े को 1-1/4 किलो काले चने शुक्रवार को खिलाओ तथा शनिवार को उसके पिछले दायें पैर की नाल लेकर शनिवार को ही अपने घर के प्रवेश द्वार पर U इस आकार में लगाएं। 4 लक्ष्मी प्राप्ति करने के लिये शुक्रवार को अंधविद्यालय में 27 संतरे अंधे बच्चों को खिलाएं। 5 बच्चों की पढ़ाई में अधिक अंक पाने हेतु किसी अंधे बच्चे या लड़की को अपना पुत्र या बेटी मानते हुए पुस्तकों का दान करो या वस्त्र तथा फीस देकर मदद करें। 6 नजर टोना-टोटका दूर करने के लिये एक नींबू लेकर रोगी के ऊपर सात बार उलटा घुमाकर उतारें (शनिवार) एक चाकू सिर से पैर तक धीरे-धीरे स्पर्श करते हुए नींबू को बीच से काट दें। दोनों टुकड़े दक्षिण दिशा की ओर

भाग्य के अधीन कम

 आज का हमारा विषय है कर्म( उपाय) तो बहुत किऐ पर हुआ कुछ नहीं, जी हां अक्सर सुनने में आता है कि गुरु जी हमने जो उपाय जिसने बताया वह सब किया परंतु उसका लाभ हमको नहीं मिला... 😞 क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों होता है अगर नही तो यह पोस्ट जरूर पढ़ें...  मानव का जन्म जिस भी ग्रह नक्षत्र के पाऐ में होता है उसके आगामी 36 वर्ष तक उसकी समस्त जिंदगी उसी पाऐ कि तरह चलती है जैसे अगर आपका स्वर्ण पाद में जन्म हुआ है तो आपका जीवन आगामी 36 वर्ष तक उत्तम तरिके से चलेगी और अगर ताम्र पाद में जन्म है तो आगामी 36 वर्ष जन्म से मध्यम वर्ग की तरह से चलेगी और अगर लौह पाद में जन्म हुआ है तो जन्म काल से आगामी 36 वर्षों तक अधम तरिके से जिंदगी चलेगी इसकी सटीक जानकारी शनि ग्रह से स्पष्ट लगाई जा सकती है,बताता चलुं पायों का चरण लौह ताम्र और स्वर्ण क्रमशः होता है, अगर आपको अपना जन्म चरण पाद का पता न हो तो आप योगिनी दशा फल से भी अनुभव पा सकते हैं,जन्म के तीनों पायों का समयावधि 108 वर्ष होता है,जिसमें मानव का 36 वर्ष लग्जरी लाईफ और 36 वर्ष कष्ट कर लाईफ और 36 वर्ष मध्यम वर्गीय लाईफ जीता है,अगर इनका ध्यान रखा जाऐ तो कुण्डली क

ग्रहों के सपोर्टेड पौधे

 *सत्ताईस नक्षत्रों के वृक्ष* ज्योतिष के अनुसार 9 ग्रहों का प्रभाव मानव ,जीवो, पेड़ पोधो, सब पर पड़ता है। हर ग्रह का एक नक्षत्र होता है। परन्तु हर नक्षत्र का एक वृक्ष होता है । नक्षत्रो के माध्यम से भी ग्रहों के कुप्रभाव को सही किया जासकता है। कोई भी व्यक्ति अपने नक्षत्र के अनुसार वृक्ष की पूजा करके अपनें नक्षत्र को ठीक कर सकता है। यदि जन्म नक्षत्र अथवा गोचर के समय कोई नक्षत्र पीड़ित चल रहा हो तब उस नक्षत्र से संबंधित वृक्ष की पूजा करने से पीड़ा से राहत मिलती है। नक्षत्रों से संबंधित वृक्ष 1👉 अश्विनी नक्षत्र का वृक्ष :– केला, आक, धतूरा । 2👉 भरणी नक्षत्र का वृक्ष :–केला, आंवला। 3👉 कृत्तिका नक्षत्र का वृक्ष :– गूलर । 4👉 रोहिणी नक्षत्र का वृक्ष :– जामुन । 5👉 मृगशिरा नक्षत्र का वृक्ष :– खैर। 6👉 आर्द्रा नक्षत्र का वृक्ष :– आम, बेल । 7👉 पुनर्वसु नक्षत्र का वृक्ष:– बांस । 8👉 पुष्य नक्षत्र का वृक्ष :– पीपल । 9👉 आश्लेषा नक्षत्र का वृक्ष :– नाग केसर और चंदन। 10👉 मघा नक्षत्र का वृक्ष :– बड़। 11👉 पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र का वृक्ष :- ढाक। 12👉 उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र का वृक्ष :- बड़ और पाकड़।