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कुंडली में कुछ खास ग्रह स्थित है

 1. कुंडली के ग्यारहवे भाव में सूर्य, पांचवे में गुरु तथा बारहवें में शुक्र इस बात का सूचक है कि यह व्यक्ति पूर्वजन्म में धर्मात्मा प्रवृत्ति का और लोगों की मदद करने वाला हो सकता है।

2. लग्न में उच्च राशि का चंद्रमा हो तो ऐसा व्यक्ति पूर्वजन्म में सद् विवेकी वणिक यानि एक अच्छा व्यापारी रहा होगा।

3. चार या इससे अधिक ग्रह जन्म कुंडली में नीच राशि के हों तो हो सकता है कि ऐसे व्यक्ति ने पूर्वजन्म में आत्महत्या की होगी।

4. यदि जन्म कुंडली में सूर्य छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो या तुला राशि का हो तो व्यक्ति पूर्वजन्म में भ्रष्ट जीवन व्यतीत करना वाला हो सकता है।

5. लग्न या सप्तम भाव में यदि शुक्र हो तो व्यक्ति पूर्वजन्म में राजा या प्रसिद्ध सेठ रहा होगा। ऐसे व्यक्ति ने जीवन के सभी सुखों को भोगा होगा।

6. लग्नस्थ गुरु इस बात का सूचक है कि जन्म लेने वाला पूर्वजन्म में वेदपाठी ब्राह्मण था। यदि जन्मकुंडली में कहीं भी उच्च का गुरु होकर लग्न को देख रहा हो तो बालक पूर्वजन्म में धर्मात्मा, सद्गुणी, साधु या तपस्वी रहा होगा।

7. लग्न, एकादश, सप्तम या चौथे भाव में शनि इस बात का सूचक है कि व्यक्ति पूर्वजन्म में शुद्र परिवार से संबंधित हो सकता है और हो सकता है कि उसने कई पाप भी किए होंगे।

8. जिस व्यक्ति की कुंडली में चार या इससे अधिक ग्रह उच्च राशि के या स्व राशि के हों तो पूर्व जन्म में वह व्यक्ति बहुत ही उत्तम योनि में जन्मा हो सकता है।

9. यदि लग्न या सप्तम भाव में राहु हो तो व्यक्ति की पूर्व मृत्यु स्वभाविक रूप से नहीं हुई यानि हो सकता है उसकी हत्या हुई होगी।

10. कुंडली में स्थित लग्नस्थ बुध स्पष्ट करता है कि व्यक्ति पूर्वजन्म में वणिक (व्यापारी) का पुत्र होगा और वह जीवनभर कई तरह के क्लेशों से परेशान हुआ होगा।

11. सप्तम भाव, छठे भाव या दशम भाव में मंगल की उपस्थिति यह बताती है कि यह व्यक्ति पूर्वजन्म में क्रोधी स्वभाव का होगा तथा कई लोग इससे परेशान भी रहे हो होंगे।

12. गुरु शुभ ग्रहों से दृष्ट हो या पंचम या नवम भाव में हो तो जातक पूर्वजन्म में संन्यासी रहा होगा।

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