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भाग्य के अधीन कम

 आज का हमारा विषय है कर्म( उपाय) तो बहुत किऐ पर हुआ कुछ नहीं,

जी हां अक्सर सुनने में आता है कि गुरु जी हमने जो उपाय जिसने बताया वह सब किया परंतु उसका लाभ हमको नहीं मिला... 😞

क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों होता है अगर नही तो यह पोस्ट जरूर पढ़ें... 

मानव का जन्म जिस भी ग्रह नक्षत्र के पाऐ में होता है उसके आगामी 36 वर्ष तक उसकी समस्त जिंदगी उसी पाऐ कि तरह चलती है जैसे अगर आपका स्वर्ण पाद में जन्म हुआ है तो आपका जीवन आगामी 36 वर्ष तक उत्तम तरिके से चलेगी और अगर ताम्र पाद में जन्म है तो आगामी 36 वर्ष जन्म से मध्यम वर्ग की तरह से चलेगी और अगर लौह पाद में जन्म हुआ है तो जन्म काल से आगामी 36 वर्षों तक अधम तरिके से जिंदगी चलेगी इसकी सटीक जानकारी शनि ग्रह से स्पष्ट लगाई जा सकती है,बताता चलुं पायों का चरण लौह ताम्र और स्वर्ण क्रमशः होता है, अगर आपको अपना जन्म चरण पाद का पता न हो तो आप योगिनी दशा फल से भी अनुभव पा सकते हैं,जन्म के तीनों पायों का समयावधि 108 वर्ष होता है,जिसमें मानव का 36 वर्ष लग्जरी लाईफ और 36 वर्ष कष्ट कर लाईफ और 36 वर्ष मध्यम वर्गीय लाईफ जीता है,अगर इनका ध्यान रखा जाऐ तो कुण्डली का न केवल फलादेश सही जाता है वरन् जातक को उपाय भी लाभदायक होते हैं,इन सबके बाद नम्बर आता है कुल दोश और पित्र दोश का जो कि अपना प्रभाव बंधन दोश के रूप में सामने आते हैं और इनके भी कारण कोई उपाय उचित तरिके से कार्य नहीं करते.... इसके बारे में हम अगले पोस्ट में चर्चा करेंगे.... 

लेख शास्त्री अशवनी शुक्ला लगातार 11 सालों का अनुभव प्राप्त

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