जिससे भी सुनों वह यही कहता है कि जल्दी जल्दी करो नहीं तो राहू काल लग जाऐगा...राहू काल में ऐ कार्य नहीं होता ओ कार्य नहीं होता कोई टैंसन कि बात आई तो तुम्हारा राहू खराब है,और तो और हद तो तब हो गई जब एक फिल्म में भी इसका डर दिखा कर एक मुम्बईया वाला राजपाल यादव को राहू काल का डर दिखा कर छोटी गंगा बताकर गंदे नाले में कुदा दिया.....😀
आईऐ इस राहु को हम बताते हैं कि यह इतना खराब क्यों है और इसका वास्तव में कारण क्या है
वास्तव में ऐ राहू ही डिप्रेशन का कारण है,राहु काल में कोई भी धार्मिक कार्य मात्र इसीलिए करने को मना किया जाता है क्योंकि पूजा पाठ आपके आस्था का प्रतीक होता है,और जब आस्था ही नहीं जगेगी तो पूजा मे मन कैसे लगेगा,और जब पूजा मे मन ही नहीं लगेगा तो फल कैसे मिलेगा,सायद अगर आपने कोई खास पूजा किया होगा तो महसूस किया होगा कि उस समय जीवन से जुड़ी हर गलत बातों का ख्याल ऐसे आता है टाइम टू टाइम जैसे कि लाइव टैलीकास्ट हो रहा है,लेकिन अच्छे कर्म जरा सा भी याद नहीं आते और अगर बहुत मन खिंचने पर आते भी हैं तो ऐसे चले जाता है जैसे कोई मेहमान हो यह सब राहू ही करवाता है इसीलिए इसका ध्यान दिया जाता है,यही भूत प्रेत का कारण भी है
जब जब राहु कि गड़बड़ दशा आती है तो लोगों को नजर भूत प्रेत सोखा ओझा कि आदत बहुत ज्यादा पड़ने लगती है,यही राहू आपकी कार्य को बिगाड़ने का भी कारण है जाहिर सी बात है जो कार्य शांति से होना होगा अगर उसमें आप झड़प करेंगे तो काम तो बिगड़े गा ही ना,वैसे अगर यह मेहरबान हो जाऐ तो बिगाड़ कार्य बना भी देता है जिसे आप कहते हैं अरे तो आज भगवान कि क्रिपा हो गई जो कि यह कार्य हो गया नहीं तो गड़बड़ हो जाता,यह यही राहु ही करवाता है,कुंडली के अनुसार लग्न में बेठा राहू जातक में बिना किसी साधना के ही वशीकरण का कार्य करता है,
यही वास्तु दोश का कारण भी है,अगर मकान कितना भी आलिशान क्यूँ ना बन रहा हो मात्र 15 दिन पूरी दिवार चला कर उस पर छत कृष्ण पक्ष तक ना लगाऐं, फिर आप देखेंगें कि या तो उसका छाजन जल्दी लगेगा ही नहीं और अगर लग भी गया तो उसमें रहने वाला हर इंसान दिमांगी टैंसन से थोडा बहुत जरूरत परेशान रहैगा,
इसकी दुस्मनी सबसे ज्यादा देवी साधकों से है और सबसे ज्यादा लगाव शिव भक्तों से हैं,आपने सुना और देखा भी होगा कि देवी पुजार्चन में सर को ढकना अनिवार्य माना गया है,जबकि शिव पुजन में ऐसी कोई भी अनिवार्यता नही है,राहु के अधिकार क्षेत्र में आपके सर के बाल/घर के कुड़े/समशान घाट कि हवा/ससुराल इत्यादि आतें हैं,
जिसका राहु दुशित होगा वह तंत्र मंत्र से पिडित होगा और जिसका अच्छा होगा वह तंत्र मंत्र का ज्ञाता भी होगा,
राहू अगर अच्छा हो जातक के लिए तो ऐसा जातक खुद कि कमाई से ज्यादा ससुराल से लाभ पाता है,
राहू कि अच्छी दशा युक्त वाला जातक शिव में विशेष रूची रखता है,आपने सूना होगा कि राहु मोक्ष का भी कारक है सही है शिवभक्त होने के कारण ऐसे इंशानों का प्राण शिव में ही विलिन होता है,वैसे भी आपने देखा होगा कि लोगों को अक्सर मोछ कि चाहत के कारण ही मरणोपरांत शमसान में मात्र इसीलिए ले जाया जाता है कि पूरा शमशान ही राहू का द्दोत्तक है और राहु का द्दोत्तक स्वयं शिवजी ही हैं, तो मोछ तो मिलना ही हैं,
राहू के सही होने पर जातक को वाक्यसिध्दी,अचानक लाभ और देविय शक्तियों का सहयोग जरूर मिलता है,
इस पोस्ट को मात्र इसलिए सार्टकट में पेश किया गया है जिससे पोस्ट ज्यादा लम्बी ना हो जाऐ,नहीं तो राहु पर अगर लेख लिखा जाऐ तो शायद एक उपन्यास का रूप धारण कर लेगा...।
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